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होता हैं। अतः सम्यक् सुखाभिलाषी जीवों को प्रात्मानुभूतिरूप शुद्ध भाव को प्राप्त करने का प्रयत्न करना चाहिए ।
प्रश्न
१. मुक्ति के मार्ग में पुण्य का क्या स्थान हैं ? २. पुण्य और पाप किसे कहते हैं ?
३. पुण्य और पाप के कारणादि भेदो को स्पष्ट करते हुए दोनों में सयुक्ति एकत्व स्थापित कीजिए ।
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