Book Title: Tattvagyan Pathmala 2
Author(s): Hukamchand Bharilla
Publisher: Todarmal Granthamala Jaipur

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Page 76
________________ Version 001: remember to check http://www.AtmaDharma.com for updates न करेगा ? अर्थात् प्रत्येक बुद्धिमान व्यक्ति स्वीकार करेगा ही। यदि कोई न करे तो उसके विचारानुसार वस्तु-व्यवस्था सिद्ध न होगी।। 15 / / क्रमार्पितद्वयाद् द्वैतं, सहावाच्यमशक्तित: / प्रवक्तव्योत्तराः शेषा स्त्रयो भंगाः स्वहेतुतः / / 16 / / क्रमार्पण (क्रम से कथन करना) की अपेक्षा से वस्तु उभयरूप (भावाभावरूप) हैं एवं एक साथ भाव और प्रभाव को कहने में असमर्थ होने से वस्तु स्याद्प्रवक्तव्य हैं। इसके बाद के तीन भंग स्याद् सद् प्रवक्तव्य, स्याद् असद् प्रवक्तव्य और स्याद् सदासद् प्रवक्तव्य को भी अपनी-अपनी अपेक्षा घटित कर लेना चाहिए।। 16 / / प्रश्न - 1. देवागम स्तोत्र एवं उसकी विषय-वस्तु का संक्षिप्त परिचय दीजिये। 2. निम्नलिखित में परस्पर अंतर बताइये: (क) सामान्य सर्वज्ञसिद्धि और विशेष सर्वज्ञसिद्धि। (ख) भावैकान्त और प्रभावैकान्त। 3. चारों प्रकार के एकान्तों का सयुक्ति निषेध कर स्याद्वाद की सिद्धि कीजिये। 74 Please inform us of any errors on rajesh@ AtmaDharma.com

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