Book Title: Tattvagyan Pathmala 2
Author(s): Hukamchand Bharilla
Publisher: Todarmal Granthamala Jaipur

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Page 33
________________ Version 001: remember to check http://www.AtmaDharma.com for updates की स्वतन्त्रता का भान होता हैं और स्वावलम्बन का भाव जागता हैं। पर पदार्थ के सहयोग की आकांक्षा से होने वाली व्यग्रता का प्रभाव होकर सहज स्वाभाविक शान्त दशा प्रगट होती हैं । । अब समय हो गया हैं। आज जो बताया हैं उस पर गम्भीरता से विचार करना! तुम्हारा कल्याण होगा !! प्रश्न - १. उपादान किसे कहते हैं ? वह कितने प्रकार का होता हैं ? उदाहरण सहित स्पष्ट कीजिए। २. निमित्त किसे कहते हैं ? वह कितने प्रकार का होता हैं ? प्रेरक निमित्त से क्या आशय हैं ? ३. कोई एक कार्य पर उपादान-उपादेय और निमित्त-नैमित्तिक घटा कर समझाइए। ४. उपादान-निमित्त के जानने से क्या लाभ है ? ३१ Please inform us of any errors on rajesh@ AtmaDharma.com

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