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निजार्जितं कर्म विहाय देहिनो,
न कोपि कस्यापि ददाति किंचन। विचारयन्नेवमनन्यमानसः,
परो ददातीति विमुच्य शेमुषीम्।।' अन्त में ७२ वर्ष की आयु में दीपावली के दिन इस युग के अन्तिम तीर्थंकर भगवान महावीर ने भौतिक देह को त्याग कर निर्वाण प्राप्त किया। उसी दिन उनके प्रथम शिष्य इन्द्रभूति गौतम को पूर्णज्ञान ( केवलज्ञान) की प्राप्ति हुई। जैन मान्यतानुसार दीपावली महापर्व भगवान महावीर के निर्वाण एवं उनके प्रमुख शिष्य गौतम को पूर्णज्ञान की प्राप्ति के उपलक्ष्य में ही मनाया जाता हैं ।
इस प्रकार हम देखते हैं कि भगवान महावीर का जीवन आत्मा से परमात्मा बनने के क्रमिक विकास की कहानी हैं । प्रश्न -
१. तीर्थंकर भगवान महावीर का संक्षिप्त जीवन परिचय अपने शब्दो में दीजिए। २. भगवान महावीर के कितने गणधर थे ? नाम सहित बताइये। ३. बालक वर्धमान के गर्भ में आने के पूर्व उनकी माँ ने कितने और
कौन-कौन से स्वप्न देखे थे ? । ४. भगवान महावीर के मुख्य उपदेश क्या-क्या थे?
१. भावना द्वात्रिंशतिका ( सामायिक पाठ), छंद ३०-३१
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