Book Title: Tattvabodhak Kalyan Shatak
Author(s): Hemshreeji
Publisher: Hemshreeji

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Page 12
________________ (१०) एक मिथ्यादृष्टि । त्रण्य विकलेंद्रीने । समकित । मिथ्यात एबे दृष्टि ॥ ११ ॥ -- ॥ बार, दर्शन द्वार कहे छे ॥ दर्शन ४ नां नाम कहे छ । चक्षु दर्शन १, अचक्षु दर्शन२,अवधि दर्शन३, केवल दर्शन ४॥ नारकी ४ । दस भवनपति । व्यन्तर, योतिषी, वैमानिक । तीर्यच पंचेन्द्रि । ए पन्नर दंडके । त्रण्य दर्शन । चक्षु १ अचक्षु २ अवधि दर्शन ३ पांच थावर । बेइंद्रि ने तेइंद्री। एक अचक्षु दर्शन। चौरेन्द्रि । चक्षुनें । अचक्षु बेदर्शन । मनुष्यनें चार दर्शन १२ ॥ ॥ तेरमो ज्ञान द्वार कहे छ । पांच ज्ञान, तीन आज्ञाननां नाम कहेछ । मतिज्ञान १ श्रुतज्ञान २ अवधिज्ञान ३ मनपर्यवज्ञान ४ केवलज्ञान ५ मतिअज्ञान ६ श्रुत अज्ञान

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