Book Title: Tattvabodhak Kalyan Shatak
Author(s): Hemshreeji
Publisher: Hemshreeji

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Page 41
________________ (३९) खपातो अंतर मुहूर्त अपूर्व करणथी अनंतगुण विशुद्ध अनिवृति करणकरे त्यां आयु कर्म वर्जीने सात साते कर्मनी स्थिती खपावी ने एक कोडा कोडी लावीने मले त्यारे ग्रंथी भेद थाय ग्रंथी भेद ते शु अनादी कालनी राग द्वेषनी गांठ भेदी नांखी हवे अपूर्व गुण ठाणु नाम पडयो के कोई दिवस पाम्यो नथी ते नवं शुं पाम्यो तो समकित ॥९॥ हवे अनिवृति बादर गुण ठाणानी स्थिती कहे छे. जघन्य एक समय उत्कृष्टी अन्तर मुहूर्तनी हवे ते अपूर्व करण थी अनंत गुण विशुद्ध अने सुक्षम संपराय थी हीण ते माथी संजलना लोभ बिना त्रिक ने पुरुष बेद गयो हवे तेनो लक्षण कहे छे श्रेणिपर चढतां सर्व जीवना अद्यव साय सरखा होय छे जरा पण फार फेर नथी करीने अनिवृति थयो ॥ १० ॥ हवे दसमां सुक्षम संपराय गुण ठाणानी स्थिती कहे छे जवन्य एक समय उत्कृष्ट अन्तर मुहूर्तनी हवे अनिवृति बादर गुण ठाणा

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