Book Title: Tattvabodhak Kalyan Shatak
Author(s): Hemshreeji
Publisher: Hemshreeji

View full book text
Previous | Next

Page 52
________________ (५०) गुणठाणे आवे त्यारे श्री गोतमश्वामी पुछता हवा ए पाछो पड्यो ते स्या थकी श्री भगवंतदेवजी बोल्या ए मोहनी कर्म संजलनो लोभ उपसमायो हतो ते पाछो प्रजल्यो अनिने दृष्टांते जेम अनि . मांहें इंधन भारया आव्या ते जलबट उठी तेम मोहनी कर्म उपसमाव्यो हतो ते पालो प्रजल्यो । क्षायक श्रेणीना लक्षण कहेछे वेहीज २१ प्रकृति खपावे तो नवमे गुणठाणे आवे वेहीज २७ प्रकृति खपावे तो दसमें गुणठाणे आवे इहां संजलनो लोभ हतो ते खपावीने इग्यारसुंगुणठाणों उलांगी ने बारमें गुणठाणे आवे तिहां घनघातिया कर्म ज्ञानावरणी १, दर्शनावरणी २, अंतराय ३, एतीन कर्म खपावीने तेरमें गुणठाणे आवे तिहां १० बोल नी प्राप्ती होवे दान लब्दी १, लाभ लब्दी २, भोग लब्दी ३, उपभोग लब्दी ४, वीर्य लब्दी ५, केवलज्ञान लब्दी ६, केवलदर्शन लब्दी ७, क्षायक समकित लब्दी ८, यथाख्यात चारित्र लब्दी ९,

Loading...

Page Navigation
1 ... 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100