Book Title: Tattvabodhak Kalyan Shatak
Author(s): Hemshreeji
Publisher: Hemshreeji

View full book text
Previous | Next

Page 51
________________ (४९) सात आठ भवकरी मोक्ष जासी, हवे आठमुं गुणठाणानुं लक्षण कहे छे अपूर्व करणने शुक्लध्यान आवे त्यारे आठमें गुणठाणे आवे तिहां श्रेणी बे एक उपसम श्रेणी बीजी क्षायक श्रेणी हवे उपसम श्रेणीना लक्षण कहेछे तेहनी प्रकृती २१, तेएम १५ पाछे कही ते हास्य १, रती २, अरति ३, भय ४, सोग ५, दुगंछा ६, एम २१ प्रकृति उपसमावे त्यारे नवमें गुणठाणा आवे । हवे दसमुं गुणठाणा नो लक्षण कहे छे तेहनी प्रकृति २७ तेएम २१ तो पाछे कही ते स्त्री वेद १, पुरुष वेद २, नपुंसक वेद ३, संजलनो क्रोध १, मान २, माया ३, एम २७ प्र. कृति उपसमावे त्यारे दसमें गुणठाणे आवे तिहां काल करे तो ४ अनुत्तरविमान माहीज जावे काल नहीं करे तो संजलनो लोभ हतो ते उपसमावीने इग्यारमें गुणठाणे आवे तिहां काल करे तो स्वार्थ सिद्धी जाय काल न करे तो पाछो लड़थड़े इग्या. रमानो दसमे तथा नवमें तथा चौथे तथा पहिले

Loading...

Page Navigation
1 ... 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100