Book Title: Tattvabodhak Kalyan Shatak
Author(s): Hemshreeji
Publisher: Hemshreeji

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Page 44
________________ (४२) ॥ गुणठाणा द्वार लिख्यते ॥ ते १४ गुणठाणा उपर चालसै ते गुणठाणा १४ समवायांगजी सूत्र मांही कह्या छ। २५ दारना नाम कहे छे। नाम द्वार , लक्षण द्वार २, स्थिती द्वार ३, क्रिया द्वार४, सत्ता द्वार ५, बंध द्वार ६, उदे द्वार ७, उदारणा द्वार ८, निर्झरा द्वार , भाव द्वार १०, कारण द्वार ११, परीसा द्वार १२, आत्मा द्वार १३, जीवना भेद दार १४, गुणगणा द्वार १५, योग द्वार १६, उपयोग द्वार १७, लेश्या द्वार १८, हेतु द्वार १९, मार्गणा द्वार २०, ध्यान द्वार २१, जीवा योनी द्वार २२, दंडक द्वार २३, सनंत निरंतु दार २४, अल्पाबहुल द्वार २५ ॥ हवे नामहार कहेछे ॥ पहिलो मिथ्यात्व गुणगणो, बीजो सास्वादन गुणाणो, त्रीजो सास्वादन गुणठाणो, चोथो अवृत्ती

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