Book Title: Tattvabodhak Kalyan Shatak
Author(s): Hemshreeji
Publisher: Hemshreeji
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( ८ )
ष्टो एक पूर्वकोडी वर्षनुं । समुर्छिम उर परिसर्पनुंउत्कृष्टो त्रेपन हजार वर्षनुं । गर्भज भुजपरिसर्पनुं उत्कृष्टो एक पूर्व कोडी वर्षं । समुर्छिम भुजपरि सर्प नुं उत्कृष्टो बेतालीस हजार वर्ष नुं । ए सर्वे उत्कृष्ट आउखो जाणवो || दस भेद तीर्यचना कह्या ते सर्वनुं जघन्य आउखो अंतरमुहुर्तनुं छे । गर्भज मनुष्य नुं उत्कृष्टो आउखो तीन पल्योपमनुं । जघन्य अंतर मुहुर्त नुं । व्यंतर नुं जघन्य दसहजार वर्षं उत्कृष्टो एक पल्योपन नुं । व्यंतरनी देवी नुं जघन्य दसहजार वर्षनुं उत्कृष्टो अर्धा पल्योपमनुं । योतिषना पांच भेद कहे छे ॥ चन्द्रमा, सूर्य, ग्रह नक्षेत्र, तारा । ते मध्ये चंद्रमानुं जघन्य आउखो पाव पल्योपमनुं । उत्कृष्टो एक पल्योपम ने एक लाख वर्षनुं । चंद्रमानी देवीनं उत्कृष्टो अर्धपल्योपम अने पचास हजार वर्षनुं । सूरज नुं उत्कृष्टो एक पल्योपम अने हजार वर्षनुं । सूर्यनी देवी नुं उत्कृष्टो अर्ध पल्योपम अने पांचसो वर्ष नुं ।

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