Book Title: Tattvabodhak Kalyan Shatak
Author(s): Hemshreeji
Publisher: Hemshreeji

View full book text
Previous | Next

Page 36
________________ (३४) ॥अथ मिथ्यात्व गुणठाणानी स्थिती कहेछ । - अभवि आसरी अनादि अनंत, भवि आसरी सादी सांत । पढवी आसरी सादी सांत । मिथ्यागुणठाणानो लक्षण कहेछे ॥ जेम कोई माणसे धतूरानुं बीज खाधू होय तेम ते सफेद वस्तू ने पीली वस्तू देखे तेमते मिथ्यात्व गुणठाणा वालो छे ते सुदेवने कुदेव माने सुगुरू ने कुगुरू माने अने जे हिंसा धर्म छे तेने अहिंसा माने तेम बधुं विपरीत माने त्यारे कोई तरक करे छे के तेनामां एक गुण नथी त्यारे तेने मिथ्यात्व भूमि स्थल कहिये तो सामों माणस कहे के सर्व जीवों ने अक्षरनों अनंतमों भाग उघाडो छे ने सर्व आठ रुचक प्रदेश छे तेमा भविने निर्मल होय अभविने झांखाहोय माटे तेने मिथ्यात्व गुणठाणो

Loading...

Page Navigation
1 ... 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100