Book Title: Tattvabodhak Kalyan Shatak
Author(s): Hemshreeji
Publisher: Hemshreeji
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( १९ )
ग्रह नुं उत्कृष्टो एक पल्योपम नुं । ग्रहनी देवीनुं उत्कृष्ट अधी पल्योपम नुं । नक्षत्र नुं उत्कृष्टो अर्धा पल्योपम नुं । नक्षत्रनी देवी नुं उत्कृष्टो पाव पल्योपम झाझे । एत्राठे भागे जीवनुं जघन्य आउखो पाव पल्योपमनुं । तारा नुं उत्कृष्टथे पाव पल्योपमनुं । जघन्य एकपल्योपमनो आठमो भाग तारानी देवीनं उत्कृष्टो एक पल्योपमानो आउमो भाग झाझे जघन्य एकपल्योपमनो आठमोभाग ॥ हवे वैमानिक देव नुं आखो कछे || सौधर्म देवलोके जघन्य एक पल्योपम नुं । उत्कृष्टो वे सा गरोपमनुं । ईशान देवलोके जघन्य एक पल्योपम झाझरुं । उत्कृष्ट सागरोपम झाझेरुं । त्रीजे स नतकुमार देवलोके जघन्य बेसागरोपमनुं । उत्कृष्टो सात सागरोपमनुं । चोथा महेंद्र देवलोके जघन्य सगरोपम झाझेरुं । उत्कृष्टथे सात सागरोपम झाझेरुं । पांच में ब्रह्म देवलोके जघन्य सात सागरोपमनुं । उत्कृष्टो दस सागरोपमनुं । छड्डे लांतक
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