Book Title: Tattvabodhak Kalyan Shatak
Author(s): Hemshreeji
Publisher: Hemshreeji

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Page 17
________________ (१५) नरके जघन्य दस सागरोपम नुं । उत्कृष्ठो सतर सागरोपम नुं । छटी नरके जघन्य सतर सागरोपम नं । उत्कृष्टो बावीस सागरोपम न । सातमी नरके जघन्य बावीस सागरोपम नुं । उत्कृष्टो तेत्रीस सा. गरोपमनु ॥ हवे भवनपतीनी दस जाती तेहना बीस इंद्र तेहना नाम ॥ चमरेंद्र, बलेंद्र, धरणेद, भूता नीइंद्र, वेणुदेव, वेणुदाली, हरिकंत, हरिसिह, अमि सिह,अमिमाणव, पूरण, बिसिद्ध, जलंतक,जलप्रभ, अमितगति, मृगवाहन, वेलंब, प्रभंजन, घोस, महाघोस, ते बीस मध्ये चमरेंद्रनी जाती नुं जघन्य आउखो दस हजार वर्षनें । उत्कृष्टो एक सागरोपम नुं । चमरेंद्रनी देवीनुं जघन्य दस हजार वर्षतुं । उत्कृष्टो साडात्रण पल्योपम नुं । बलेंद्रन जघन्य दस हजार वर्षनुं । उत्कृष्टो एक सागरोपम झाझे । बलइंनी देवीनुं जघन्य दस हजारवर्ष नुं । उत्कृष्टो साडाचार पल्योपम नुं । हवे दक्षिण . पासाना धरणेंद्र आदि लेई ने नव इंद्र नुं जगन्य

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