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सफल जीवन
श्री रूपचंद गार्गीय जैन
पानीपत
स्व. जैनधर्म-भूषण ७० सीतलप्रसादजी ने अपने जीवन काल मे जैन समाज के नवयुवको के दिलो मे धर्म व समाज-सेवा की एक गहरी लगन पैदा की थी जिसके परिणामस्वरूप समाज में सुधार के कई महत्वपूर्ण कार्य हुए। बहुत-सी नई शिक्षण संस्थाए खुली । समाज के नवयुवको में धर्म-सिद्धात के ज्ञान की वृद्धि हुई तथा उनके आचार-विचार में भी उन्नति हुई। हमारे मित्रवर स्व. लाला तनसुखरायजी को भी उन्ही ब्रह्मचारीजी की सगति बचपन से ही प्राप्त हुई जिसकी गहरी छाप उनके जीवन पर लगी, फलस्वरूप दिन पर दिन उनके दिल में धर्म, समाज-सेवा व देशोद्धार की लगन वढती ही गई। अपने जीवन के मन्दर जिस समाज-सेवा व देश-सेवा के कार्य मे उन्होने हाथ डाला उसीमे उनको सफलता मिली। इसका एक कारण यह भी था कि किसी कार्य मे सफलता प्राप्त करने के लिये उसे सुव्यवस्थित रूप से चलाने की कला उन्हे पाती थी। वे सदा हसमुख रहते थे, अतिथि-सेवा का पूरा ध्यान रखते थे। १९३४ से दि० जैन परिपद् के द्वारा उन्होने जैन समाज के मुधार-कार्यों में अपनी सेवा का क्षेत्र बढाया, तव से ही मेरा उनसे सम्पर्क रहा है। १४ जुलाई १९६३ को वे हमसे सदा के लिये विदा हो गये । हमने एक सच्चा मित्र खोया और समाज ने अपना एक सच्चा हितपी खोया । मै उन्हें उनके गुणो के कारण अपनी श्रद्धाजलि अर्पित करता है।
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सबके प्रिय नेता
श्री हीराचंद जैन
मांडला, राजस्थान लालाजी का जीवन सादा और पवित्र था। वे जैन समाज के गौरव थे। भ० महावीर के सिद्धातो को सरल रूप से प्रचार करने मे वे बड़ी रुचि रखते थे। महावीर जयती उत्सव मनवाकर उन्होने एक आदर्श कार्य किया। आज जब हिंसा की अधिकता बढ रही है तव उसके विरोध मे आवाज उठाने वाले दृढप्रतिज्ञ साहसी नेता की बडी पावश्यकता थी। लालाजी ऐसे ही शक्तिशाली रत्न थे जो सिद्धातो की रक्षा के लिए निरन्तर तत्पर रहते थे। वे हमारे पुराने मित्र थे । मैं उनके प्रति श्रद्धाजलि अर्पित करता है ।
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