Book Title: Syadyarthaprakash
Author(s): Lavanyasuri
Publisher: Vijaylavanyasurishwar Gyanmandir Botad

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Page 9
________________ स्याद्यर्थप्रकाशस्य शुद्धिपत्रम् पंक्तो २९ शीर्ष के १६ अशुद्धम् यावसिद्धि कत त्वनिरुक्तिः वाच्यत्वनिवेशाव्यप्यधर्मेण कत त्वनिरुक्तिः सर्वमेतादवलो. कतत्वनिरुक्तिः मकर्मणो शुद्धम् यावत्सिद्ध. द्वितीयार्थप्रकाश: वाच्यत्वानिवेशाव्याप्यधर्मेण द्वितीयार्थप्रकाशः सर्वमेतद्वालो द्वितीयार्थप्रकाशः -गमनकर्मणो शीर्षके शीर्षके दृष्टि दृष्टं निरूक्ते निरुक्ते वक्ता वक्त्रा -निष्ठद्देश्यता -निष्ठोद्देश्यता -फलजकता फलजनकता -पदतीत्यादौ पचतीत्यादी वहिस्तिलाधि- वहिस्तिलादि(द्वितीयाया निरर्थकत्वाक्षेपः) (द्वितीयाया निरर्थकत्वा क्षेपपरिहारी) स्वनिरूपित्व स्वनिरूपितत्व -प्रत्यार्थाभावो प्रत्ययार्थाभावो स्वप्रवृत्तिभेद- स्ववृत्तिभेदवृत्यनियाक दृश्यनियामकग्रामस्यन्वबोधः ग्रामस्यान्वयबोधः सम्बन्धिवत्व- सम्बन्धित्व भवृत्तिभेदाय भवृत्तिभेदस्य संयोगवच्छिन्न संयोगावच्छिन्न मा भदित्याकारिका मा भदित्याकारिका

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