Book Title: Swaroday Vignan Author(s): Hiralal Duggad Publisher: Jain Sahitya Prakashan Mandir View full book textPage 7
________________ 4.स्वरोसार |३०. रोगी प्रश्न . १. मंगलाचरण १ ३१. खाली और भरा स्वर में प्रश्न ५७ ॥ २. स्वर ज्ञान ३ | ३२. वार और स्वर तत्त्व ५७ ३. स्वरों का कार्य .. ५ | ३३. तत्त्व ज्ञान रीति ४. स्वरों के गुण |३४. चार्ट (१) ५. स्वरों में लग्न, राशि, मास ४३५. हानि लाभ विचार . ७८ ६. प्रश्न दिशा निर्णय १० ३६: चार्ट (२) . .. ७. कार्य के अक्षरों का निर्णय १२ ३७. तत्त्वों की आवश्यक बातें ७६ ८. स्वरोदय सिद्धि १२ | ३८. स्वर और प्रश्न कर्ता . ८१ ६. निश्चय प्राणायाम १३ ३६. तत्त्व और पदार्थ चिंता. ८३ १०. व्यवहार प्राणायाम - १४ | ४०. तत्त्वों के स्वामी, ग्रह, वार ८३ ११. अष्टांग योग प्राणायाम १५.४१. चन्द्र स्वर की अवस्थाएं १२. प्राणायाम के भेद १५|४२. रसों से तत्त्व की पहचान ८४ १३. वायु के भेद और बीज १८ | ४३. तत्त्वों में नक्षत्र . १४. अनहद ध्वनि | ४४. तत्त्व क्रम १५. अजपा जाप योग | ४५. तत्त्वों के गुण १६. समाधि २३ ४६. तत्त्वों के द्वार १७. कुंडलिनी-बंकनाल | ४७. युद्ध के प्रश्न १८. मुद्राबन्ध-प्रासन २५ | ४८ गर्भ प्रश्न १९. पद्म तथा मूलासन [चित्र] | ४६ परदेश गमन प्रश्न २०. षट कर्म २८/५०. तत्त्व और पारोग्य २१. जैन अष्ट योग दृष्टि २२. साधक की योग्यता | ५२. लाभालाभ प्रश्न ११० २३. ध्यान के भेद ११३ २४. स्वरोदय सिद्धि | ५४. चार पुरुषार्थ १४१ २५. सिद्धचक्र चित्र | ५५. धर्माधर्म विवेक १४२ २६. तत्त्वोंकी पहचान और लाभ ४० | ५६. समाधि का स्वरूप १४५ २७. तत्त्वों से वर्ष फल ४३ ५७ श्वासोश्वास गति १४७ २८. कुटुम्ब शरीर धन विचार ५० | ५८. ध्यान की विधि १५२ २६. तत्त्व और कार्य प्रश्न ५१ | ५६. शरीर में नाड़ियां १५४ २६ | ५१. स्वरों का समय ३४ ५३. कालज्ञान Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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