Book Title: Suttanipato Author(s): Jagdish Kashyap Publisher: Uttam Bhikkhu View full book textPage 7
________________ नमो तस्स भगवतो अरहतो सम्मासम्बुद्धस्स सुत्तनिपातो उरगवग्गो ( १ - उरग सुत्तं १1१ ) यो उप्पतितं विनेति कोधं विसतं सप्पविसंऽव ओसधेहि | सो भिक्खु जहाति ओरपारं उरगो जिणमिव तचं पुराणं ॥ १ ॥ यो रागमुदच्छिदा असेस भिसपुप्फंऽव सरोरुहं विगह । सो भिक्खु जहाति ओरपारं उरगो जिण्णमिव तचं पुराणं ॥ २ ॥ यो तहमुदच्छिदा असेसं सरितं सीघसरं विसोस यित्वा । सो भिक्खु जहाति ओरपारं उरगो जिणमिव तचं पुराणं ॥ ३॥ यो मानमुदब्बधी असेसं नळसेतुंऽव सुदुब्बलं महोघो । सो भिक्खु जहाति ओरपारं उरगो जिणमिव तचं पुराणं ॥ ४ ॥ यो नाज्झगमा भवेसु सारं विचिनं पुप्फमिव उदुंबरेसु । सो भिक्खु जहाति ओरपारं उरगो जिणमिव तचं पुराणं ॥ ५ ॥ यस्स ! न्तरतो न सन्ति कोपा इति भवाभवतं च वीतिवत्तो । सो भिक्खु जहाति ओरपारं उरगो जिष्णमिव तचं पुराणं ॥ ६॥ यस तिक्का विधू पिता अज्झत्तं सुविकप्पिता असेसा । सो भिक्खु जहाति ओरपारं उरगो जिणमिव तचं पुराणं ॥ ७॥ यो नाच्च सारी न पच्चसारी सब्बं अच्चगमा इमं पपञ्चं । सो भिक्खु जहाति ओरपारं उरगो जिणमिव तचं पुराणं ॥ ८ ॥ यो नाच्चसारी न पच्चसारी सब्बं वितथमिदंऽति ञत्वा लोके । सो भिक्खु जहाति ओरपारं उरगो जिणमिव तचं पुराणं ॥ ९ ॥ १ C. यो वे. ५] M. -नच्चसारि. २ M. विसटं. ३ C. विसेसयित्वा. • M. अज्झ°. Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat M. विदुसिता. www.umaragyanbhandar.comPage Navigation
1 ... 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 ... 130