Book Title: Sumitra Charitram
Author(s): Harshkunjar Upadhyay
Publisher: Shravak Hiralal Hansraj

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Page 6
________________ सुमित्र चरित्रम् // 5 // DOORDED ODDDDDDDDDDDDD त्रासतापग्रहा यस्यां / मणिस्वर्णगुणेषु च // दंडश्छत्रेषु वास्तव्ये / प्रायेण न पुनर्जने // 18 // अर्थ-ते नगरीमा लास, ताप ने ग्रहण तो मणि, सुवर्ण अने गुणोने विषेज छे अने दंड छत्रने विषेज छे त्यां रहेनारा लोकोमा नथी. अर्थात् त्रास एटले विधावू ते मणिनेज थाय छे, सोनानेज तपावाय छे अने गुणोनेज ग्रहण करवामां आवे छे. // 18 // नीलमण्यंगणोदभूत-कांतिपरपयःस्थिताः // यत्राब्जिन्य इवाभांति / स्त्रियः स्मरमुखांबुजाः // 19 // ___अर्थ-त्यां रहेली विकस्वर मुखकमळवाळी स्वीओ नीलमणिना आंगणामां उगेली अने कांतिना समूहरुप पय (पाणी)मां न रहेली कमलिनी जेवी शोभे छे. // 19 // सुकुमारकरः सर्व-जनतारातिवल्लभः॥ निःकलंकोऽभवत्तत्र / राजा धवलवाहनः // 20 // - अर्थ-ते नगरमा सुकुमार करवाळो अने सर्वजनोने तेमज शत्रुओने पण वल्लभ एवो निष्कलंक धवलवाहम नामनो राजा छे. दाक्षिण्यौदार्यगांभीर्य-सद्धैर्यप्रमुखा गुणाः // यस्यान्योन्यं व्यरातो-पवनस्येव पादपाः // 21 // अर्थ-उपवनमा वृक्षोनी जेम ते राजामां दाक्षिण्य, औदार्य, गांभीर्य अने सदैर्य विगेरे गुणो अन्योन्य अवलंबीने रहेला छे.॥२१॥ जजुभविंशतिस्तस्य / संग्रामप्रमुखाः सुताः॥ कैलाशप्रतिबिंबेने-श्वरा द्विगुणिता इव / / 22 // ___अर्थ-ते राजाने संग्राम प्रमुख बावीश पुत्रो कैलाशमां प्रतिबिंब पडवाथी जाणे इश्वरना (अग्यार रुद्रना) द्विगुणित रुप | Hथयेला होय तेवा थयेला छे. // 22 // // 5 // PP.AC.Gunratnasuri.M.S. Jun Gun Aaradhak Trust

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