Book Title: Sumitra Charitram
Author(s): Harshkunjar Upadhyay
Publisher: Shravak Hiralal Hansraj

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Page 5
________________ / . I अर्थ-बाकीना सर्वे द्वीपो अने समुद्रो, पोताना गुणोबडे जंबुद्वीपे जाणे जीती लीधा न होय तेम फरता तेनी चारे दिशाए सुमित्र | सेवाने माटे आवेला सोमाडाना राजाओनी जेम फरी वळेला छे. // 13 // को वेत्ति लक्षणं तस्य / लक्षयोजनमानभृत् / सप्तवर्षोऽपि षड्वर्ष-धरो यः प्रोच्यते बुधैः // 14 // // 4 // | अर्थ-तेना लक्षणने कोण जाणी शके के जे जंबूद्वीप लाख योजनना विस्तारवाळो अने सात वर्ष (क्षेत्र)वाळो होवा छतां पण छ वर्षधरवाळो छ एम पंडितो कहे छे. अर्थात् ते जंबुद्वीपमा सात क्षेत्रो छे अने तेनी मध्यमध्यमा रहेला छ पर्वतो (वर्षधरो) छ।१४। तदंतर्भरतक्षेत्र-मनंतगुणशस्यदं // यत्रोप्तं वित्तबीजं तु | सत्पात्राकरभृमिषु // 15 // ___ अर्थ-ते द्वीपमा दक्षिण बाजुए प्रथम भरत नामर्नु क्षेत्र अनंत गुणोना स्थानरुप छे के ज्यां सत्पात्ररुप शुद्धभूमिमां वावेलु वित्तरुप बोज अनंतगुणा फळने आपनारुं थाय छे // 15 // तदंतरंगदेशस्य / भूमिस्त्रीतिलकोपमा // अस्ति चंपापुरो रम्या / सन्मुक्ताफलमालिनी॥१६॥ ___ अर्थ-ते भरतक्षेत्रमा अंग नामना देशमा पृथ्वीरुपी स्त्रोना ललाटमां तिलक समान अने मुशोभित मुक्ताफळवडे अलंकृत चंपा नामनी रमणिक नगरी छे. // 16 // धनधान्याढ्यलोकानां / शरीरस्य गृहस्य च // सश्रीकत्वं समीक्ष्याहुः। किं स्वगों भुवमागतः // 17 // ___ अर्थ-ते नगरीमा रहेला धनधान्ययुक्त लोकोना शरीरना अने गृहोना जैश्चर्यपणाने जोइने शुं स्वर्ग भूमिपर आवेल छे ? | एम सज्जनो कल्पना करे छे. // 17 // PP Ac Gunatnasuri M.S. [DRODDOG DOGaao DWED OTHE // 4 // Jun Gun Aaradhak Trust

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