Book Title: Sukhi Hone ka Upay Part 2
Author(s): Nemichand Patni
Publisher: Todarmal Granthamala Jaipur

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Page 42
________________ सुखी होने का उपाय) (24 समझाई है फिर भी जिज्ञासु पात्र जीव को विशेष स्पष्टीकरण के लिए सम्यक्त्व सन्मुख मिथ्यादृष्टि का प्रकरण पूरा अध्ययन करना चाहिए। अध्ययन पांच प्रकार से मोक्षमार्ग प्रकाशक के अतिरिक्त बृहद् द्रव्यसंग्रह की गाथा २ की टीका में आचार्य श्री ब्रह्मदेव सूरि ने शास्त्रों के अर्थ तथा उपरोक्त विषय को समझने के लिये निम्नप्रकार पद्धति भी अपनाने का निर्देश दिया है : "T एवं शब्दनयमतागमभावार्थो यथा सम्भवं व्याख्यानकाले सर्वत्र ज्ञातव्यः । " अर्थ भावार्थ चाहिए।' : - इसप्रकार शब्दार्थ, नयार्थ, मतार्थ, आगमार्थ, और यथासंभव व्याख्यान काल में सर्वत्र जानना उपर्युक्त आधार से यह को उपरोक्त पाँचों प्रकार चाहिये, आचार्यश्री ने "सर्वत्र की विशालता बहुत विस्तृत कर दी है। आवश्यक है कि अध्ययनकर्ता विषय को समझना से हर R शब्द लगाकर इस पद्धति आचार्य महाराज का संकेत है कि शास्त्र के अध्ययन के समय हर एक गाथा, श्लोक अथवा विषय का यथार्थ अभिप्राय समझ में आ सकेगा। यथा - : शब्दार्थ जबतक उस भाषा का अवश्यक ज्ञान नहीं हो तो उन शब्दों का अर्थ नहीं समझ सकता और शब्दार्थ समझे बिना भाव समझ में आ ही नहीं सकता। Jain Education International नयार्थ :www प्रस्तुत विषय किस नय की मुख्यता से किया गया है- यह समझना आवश्यक है। जैसे निश्चयनय की For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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