Book Title: Sudharm Gaccha Pariksha Author(s): Bramharshi Muni Publisher: Ravji Desar View full book textPage 5
________________ तस्व संचय करवामां राग द्वेषना फंदमां न फसाता स्वपरना आस्मान कल्याण करशेज एवो थमने पूर्ण विश्वास ! अने एम थशे तो अमारो प्रयस्न पण सफळन -मतलब के "दक परीक्षक जो मळशे तो ने श्रम सफळ अमारो!" . या ग्रंथनो विषय शुं ते तो वाचकवर्ग आयोपान्त था ग्रंथर्नु अवलोकन करताज थापोधाप समजीज ले तेम , जेथी नाइक पिष्टपेषण करी कीमती काळनो व्यर्थ व्यय करवो ते अनुचित ठे. प्रिय पाठक महाशय! या मंथना कर्त्ता सौधर्मगीय शास्त्रविशारद मुनिमहाराज श्री ब्रह्माचार्यजी के जेमनो जन्म मालवाना मांजणोठ नगरमां सोलंकी क्षत्रीवीर पद्मदेवराय पिता, तथा सीतादेवी मासाने त्यां उत्तम प्रहयोगें थयो हतो, भने जेमणे किशोरवयमांज पूर्वसंचित पुन्यप्रकृति संयोगवश पोताना ना साथे मातापितानी रजा मेळव्या शिवाय द्वार. काजीनी यात्रा करवा माटे प्रयाण कर्यु हतुं. "शुजात् शुलं जायते" ए कहेवत मुजब एबुं थयु के मार्गे चालतां चालतां गिरनार पर्वतना प्रदेशमा पूर्व पुन्योदय प्रजात्र वमे जैनाचार्यनी तेमने नेट थई. मुनीने वंदना करी पोते तेमनी अगाडी बेगा, एटस मुनिवर्ये हचुवाकर्मी Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.comPage Navigation
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