Book Title: Sudharm Gaccha Pariksha
Author(s): Bramharshi Muni
Publisher: Ravji Desar

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Page 4
________________ ( ४ ) ए शंकाने दूर करवाने माटे, तथा व्यजीवो शुद्ध धर्म पामी शके ए माटे था श्री ब्रह्माचार्यजी रचित लघु ग्रन्थ, प्राचीन तेमज प्रमाणयुक्त अमारा जोनामां वार्थ वर्त्तमान समयनी अंदर अति उपयोगी यह रवाना लाजथी घणा (पुष्कळ ) जीवोनुं हितं सधाशे प हेतुने ध्यानमा लइ श्र थ मुद्रित कर्यो ( उपाध्यो ) बे. हालना समयनी अंदर मनुष्यो शुरू धर्मनी शोध खोळ करी रह्या े अने जमानो पण जाण पथावाळो यतो जाय बे तेवा जमानामां यावा निष्पक्ष पाति प्रमाणयुक्त ग्रंथ प्रसिद्धिनी खास जरूरज बे ! अनन्य श्रद्धालु कुं, पण अंधश्रद्धाळु न यतुं एज़ श्रेयस्कर बे. केमके अंधश्रद्धाळुनुं मानवुं एवं दोय बे के --जले साधुं होय के जुलुं होय पण अमोए तो जे अंगीकार कर्तुं तेने कदी बोमनार नथी. श्याम पकमेला गडापुंनी पेठे थाज कालनो केटलोक अंधश्रद्धालुदृष्टिरागी वर्ग अज्ञानताना वशे करीने सत्यप्ररूपक सलुरु तरफ धिःकारनी नजरथी जोतो थयो छे, के जे सुगुरु सत्यवक्ताना संंक वचनोने इसी कहावा लागतो दृष्टिपथमां पडवा लाग्यो बे, ते वर्गने या ग्रंथ अत्युपयोगी श्रशेज ! माटे विवेकी वाचकवर्ग दृष्टिरागथी हूर रही तत्वग्राहिणी दृष्टिवडे या ग्रंथ प्रणथी इति लगी वांची विचारी मनन करी शुद्ध . Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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