Book Title: Story Story
Author(s): Kalyanbodhisuri
Publisher: K P Sanghvi Group

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Page 13
________________ गरीबी अपने को गरीब मानने में है। एक सैनिक लकड़ी की टाँग लगाए एक कस्बे में पहुँचा । अचानक उसे बुखार ने दबोच लिया। निरुपाय उसे अपनी यात्रा स्थगित कर उसी कस्बे में शरण लेनी पड़ी। टोकरी बनाने वाले एक गरीब की बेटी एजी का ध्यान सहसा बीमार सैनिक की ओर गया। दयालु एजी रात-दिन उसकी सेवा में लग गई। कुछ ठीक होने पर वह रोज उस सैनिक को देखने जाती और कुछ-न-कुछ पैसे देकर लौट आती। सैनिक बड़ा ईमानदार था। एक दिन उसने एजी से पूछा, "मेरी प्यारी बिटिया, मुझे पता चला है कि तुम्हारे माता-पिता बहत गरीब हैं, फिर तुम ये पैसे मुझे कहाँ से लाकर देती हो? मैं भूखा रहना पसंद करूँगा, पर गलत ढंग से लाकर दिए गए पैसे स्वीकार नहीं करूँगा।" सैनिक की बात सुन एजी मुस्कुराई और बोली, "आप बिल्कुल निश्चिंत रहिए। ये पैसे जो मैं आपको देती हूँ, मेरी खरी कमाई के पैसे हैं। रोज सुबह जब मैं स्कूल जाती है, रास्ते में पड़ने वाले जंगल से टोकरी भरकर फूल तोड़ती हूँ। फिर उसे गाँव में बेच देती हूँ। मेरे माता-पिता यह बात जानते हैं और मेरी इस बात से वे बड़े प्रसन्न हैं। वे कहते हैं कि बहुत से लोग हमसे भी खराब स्थिति में हैं। हम उनकी जितनी भी सहायता कर सकते हैं, हमें अवश्य करनी चाहिए।" एजी की बात सुनकर सैनिक की आँखें भर आईं। .20 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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