Book Title: Story Story
Author(s): Kalyanbodhisuri
Publisher: K P Sanghvi Group

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Page 81
________________ ff शीशा और दूसरा हम स्वयं बना लेते हैं। ईश्वर ने हमें केवल एक चेहरा दिया है ॥ सर्वस्योद्वेगकारकः क्रोधः ।। नीना बड़ी गुस्सैल और बदमिजाज लड़की थी । अक्सर नीना की माँ उसे ऐसी आदतों से छुटकारा पाने के लिए समझाती; पर नीना थी कि उस पर किसी बात का असर ही नहीं होता था । एक दिन नीना अपनी मेज पर बैठी पढ़ रही थी । करीब ही तिपाई पर एक सुंदर फूलदान रखा था। अचानक उसके छोटे भाई से धक्का लग गया। फूलदान फर्श पर गिरकर चूर-चूर हो गया। यह देख नीना गुस्से से भर उठी। तभी माँ ने उसके तने हुए चेहरे के सामने शीशा दिखाया। नीना ने शीशे में जब अपनी बिगड़ी हुई भयानक सूरत देखी तो चौंक पड़ी। धीरे-धीरे उसका गुस्सा शांत पड़ गया। वह फफक कर रो पड़ी। "तुमको शीशे की जरूरत है ।" माँ ने कहा, "अगर तुमने अपना मिजाज शांत न किया तो धीरे-धीरे तुम्हारे चेहरे का तनाव तुम्हारे चेहरे को सचमुच बिगाड़ देगा और तुम अपनी सुंदरता अपनी वजह से ही खो दोगी।" नीना को माँ की बात सही लगी। उसने निश्चय किया कि वह धीरे-धीरे अपने गुस्से को काबू करेगी। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org 71

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