Book Title: Story Story
Author(s): Kalyanbodhisuri
Publisher: K P Sanghvi Group

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Page 118
________________ 108 अरब के खलीफा हजरत उमर ने अपने किसी सरदार को किसी प्रदेश का गवर्नर नियुक्त किया । तभी एक छोटा बच्चा दौड़ता हुआ हजरत उमर के पास आया । बस, फिर क्या था, प्यार से उन्होंने बच्चे को चूमा और उठाकर गोद में बैठा लिया। यह वह सरदार, जिसकी गवर्नर के पद पर नियुक्ति हुई थी, सब कुछ देखकर चकित था। वह बोला, "खलीफा साहब! मेरे यहाँ भी बच्चे हैं, पर मैंने कभी उनसे इस तरह का प्यार नहीं जताया। वे मुझसे इतना डरते हैं कि मेरी आवाज सुनते ही भीगी बिल्ली बन जाते हैं ।" "मुझे यह सुनते ही हजरत उमर गंभीर हो गए। उन्होंने कहा, अपने गलत चुनाव के लिए अफसोस है। पर खुदा का लाखलाख शुक्र कि तुमने समय रहते मुझे चेता दिया। जब तुम्हें अपने बच्चों से ही प्यार नहीं तो तुम मेरी प्रजा को कैसे प्यार कर सकोगे !" और यह कहकर खलीफा ने नियुक्ति पत्र के टुकड़े-टुकड़े कर दिए। पोथी पढ़-पढ़ढ़ जग मुआ, भया न पंडित कोय । ढाई अक्षर प्रेम का, पढ़े सो पंडित होय || Jain Education International मनुष्य जिससे डरता है, उससे प्रेम नहीं करता । For Private & Personal Use Only अपने आश्रितो को खूब प्रेम एवं वात्सल्य दे कर उन्हे अच्छे संस्कार दो। इसी तरह बड़प्पन सार्थक होता है। प्रेम का झरना www.jainelibrary.org

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