Book Title: Story Story
Author(s): Kalyanbodhisuri
Publisher: K P Sanghvi Group

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Page 124
________________ एक राजा बहुत दुष्ट स्वभाव का था। दीन-दुर्बलों को दुःख देने, सताने-तड़पाने में उसे बहुत मजा आता था। प्रजा उसके अत्याचारों से बहुत परेशान थी। एक बार एक सिद्ध महात्मा राजसभा में पधारे। राजा ने उनसे पूछा, "स्वामीजी, इस जीवन में मैंने जो चाहा, किया। अब मैं चाहता हूँ कि अगले जन्म में भी मुझे ऐसा ही राजपाट मिले। क्या आप इसका। कोई उपाय बताएँगे ?'' महात्मा सोच-विचारकर बोले, "आप दिन भर सोया कीजिए, राजन् ! जितना ही अधिक आप सोइएगा उतना ही अधिक पुण्य होगा।" जब महात्मा राजा से विदा लेकर सभा भवन से बाहर निकले तो एक सज्जन ने कहा, "स्वामीजी, सोने से भी कहीं पुण्य मिलता है !'' महात्मा ने कहा, "भाई, साधु पुरुषों का पुण्य सोने से भले ही न बढ़े, परंतु दुष्टों का तो बढ़ता ही है। क्योंकि सोते समय वे दुष्कर्मों से बचे रहते हैं। जितनी भी देर यह नर'पिशाच सोएगा उतनी ही देर लोग इसके जुल्मों से बचे रहेंगे। क्या इससे उसे पुण्य नहीं मिलेगा ?" 00000 'जागृति के काल में अधिक से अधिक अच्छे काम करने चाहिये। अत्याचारी की तपस्या (राजा एवं सन्यासी) 114 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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