Book Title: Story Story
Author(s): Kalyanbodhisuri
Publisher: K P Sanghvi Group

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Page 123
________________ धन का लालच करना धन की गुलामी है। दरिद्र कौन । एक बार की बात है, एक संत के पास एक धनवान् आया। उसने रुपयों की थैली संत के चरणों में रख दी। संत ने । कहा, ''अत्यंत निर्धन का धन मैं स्वीकार नहीं करता।" "पर मैं तो धनवान् हूँ। लाखों रुपए मेरे पास हैं।" धनवान् ने उत्तर दिया। "धन की और कामना तुम्हें है या नहीं ?" संत ने प्रश्न किया। ''अवश्य है।'' "जिन्हें धन की कामना है उन्हें रातदिन धन जुटाने की चिंता रहती है। धन के लिए नाना प्रकार के दुष्कर्म करने पड़ते हैं। उनके जैसा तो कोई दरिद्र नहीं।" धनवान् अपनी थैली लेकर वापस लौट गया। 113 www.jainelibrary.org Jain Education International For Private & Personal Use Only

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