Book Title: Story Story
Author(s): Kalyanbodhisuri
Publisher: K P Sanghvi Group

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Page 119
________________ = }} :)) : } : }} चोर और साहूकार एक साहूकार के घर चोरी हो गई। चोर हजारों के गहने चुरा ले गया। काफी तलाश करने के बाद भी जब चोर का पता न चला तो साहूकार बीरबल के पास आया और रो पड़ा। बीरबल ने उसे विश्वास दिलाते हुए कहा, सुबह तक चोरों को न ढूँढ़ निकालूँ तो मेरा नाम बीरबल "कल नहीं।'' फिर बीरबल ने साहूकार के चारों नौकरों को एक-एक लकड़ी दी और उन्हें यह कहकर अलगअलग कमरे में बंद कर दिया कि तुममें से जो चोर होगा, सवेरे तक उसकी लकड़ी एक बालिश्त बढ़ जाएगी। Jain Education International चारों नौकरों में से एक नौकर चोर था। उसने सोचा, मेरी लकड़ी जरूर सुबह तक एक बालिश्त बढ़ जाएगी। क्यों न उतना ही इसे कम कर दूँ । उसने फौरन एक बालिश्त लकड़ी काट दी। सवेरे बीरबल जब चारों नौकरों की लकड़ी देखने लगे तो एक नौकर की लकड़ी को एक बालिश्त छोटा पाया। चोर पकड़ा गया। बीरबल ने फौरन उस नौकर को थानेदार के हवाले कर दिया। थानेदार के पिटाई करने के पूर्व ही उसने अपना जुर्म कबूल कर लिया और साहूकार के गहने लौटा दिए। - :)) For Private & Personal Use Only. 2}} पापी हमेशा भयभीत होता है इस से तो अच्छा है, कि पाप ही न करे । - www.jainelibrary.org or 109

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