Book Title: Story Story
Author(s): Kalyanbodhisuri
Publisher: K P Sanghvi Group

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Page 59
________________ Jain Education International For Private & Personal Use On ॥ वस्तुमूल्यं विचारय । । कौड़ी-कौड़ी का मोल बापू के लेखन-स्थान की सफाई करते हुए मनु बहन ने उनकी एक बहुत छोटी पेंसिल हटाकर उसके स्थान पर दूसरी बड़ी पेंसिल रख दी। जब बापू लिखने बैठे तो अपनी छोटी पेंसिल न पाकर उन्होंने मनु बहन से उसके बारे में पूछा। मनु बहन ने जवाब दिया, "पेंसिल बहुत ही छोटी थी। मैंने उसके बदले में बड़ी पेंसिल रख दी। आपको शायद काम करने में तकलीफ होती होगी।” इस पर बापू बोले, "मनु, यदि मैं इतना सा भी कष्ट सहन न कर सका तो अहिंसा की कड़ी कसौटी पर खरा कैसे उतरूँगा ! आज भारत में करोड़ों माता-पिता ऐसे हैं जो स्कूल जाने वाले अपने बच्चों के लिए पेंसिल का टुकड़ा भी नहीं खरीद सकते। पेंसिल का इतना सा टुकड़ा हमारे कंगाल देश में सोने के टुकड़े का महत्त्व रखता है। जब तक हम कौड़ी कौड़ी का मोल नहीं समझेंगे, हमारा देश गरीबी और भुखमरी से नहीं उबरेगा ।" हमे जो सुख-संपत्ति मिली है, उस का दुरुपयोग छोड़ कर उसे बाँटना शुरू कर देना चाहिये ।

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