Book Title: Story Story
Author(s): Kalyanbodhisuri
Publisher: K P Sanghvi Group

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Page 70
________________ सगोतका प्रभाव वह लोहा कंचन करे, वह करै आप समान || पारस में अरू संत में, बहुत अंतरौ जान । ।। भावुगदव्वं जीवो ।। संत शेख सादी एक दिन अपने शिष्यों के साथ जा रहे थे। रास्ते में वे संत सत्संग की महिमा भी उनको समझाते जा रहे थे। लेकिन शिष्यों के मन में यह बात पूरी तरह से बैठ नहीं रही थी। तभी महात्मा शेख सादी ने रास्ते के एक किनारे गुलाब के फूलों को देखा। उन्होंने गुलाब के पौधों के नीचे . पड़ा मिट्टी का एक ढेला उठाकर एक शिष्य को • उसे सूंघने के लिए कहा। शिष्य ने सूंघकर कहा, "महात्मन् ! मिट्टी के इस ढेले में तो गुलाब की सुगंध आ रही है।" ___ तब महात्मा शेख सादी ने पूछा, "लेकिन मिट्टी की तो अपनी बू होती है, तब यह सुगंध कहाँ से आई ?" __ शिष्य ने कहा, "इस ढेले पर गुलाब के फूल टूट-टूटकर गिरते रहते हैं, इसीसे इसमें यह सुगंध आ गई है।" महात्मा शेख सादी ने गंभीर स्वर में कहा, "सत्संग की महिमा भी यही है।" जो व्यक्ति जैसी संगति में रहता है वैसे ही गुण-दोष उसमें आ जाते हैं। 60 Jan Education Intemational For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org.

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