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जब कोई नही आता... ||
आजीवन कारावास की सजा पाए हुए व्यक्ति को प्रार्थना का अंतिम अवसर दिया जाता है। उचित लगने पर राष्ट्रपति उसे क्षमा भी कर सकता है। ऐसी ही एक अर्जी अमेरिका के राष्ट्रपति को प्राप्त हुई। प्रायः होता यह है कि ऐसे प्रार्थना पत्र के साथ किसी की सिफारिशी चिट्ठी भी हुआ करती है। मगर जब इस कैदी का पत्र राष्ट्रपति के पास पहुँचा तो उन्होंने अपने सचिव से पूछा, "अरे, क्या इस व्यक्ति का कोई मित्र नहीं है ? किसी प्रभावशाली व्यक्ति ने इसके क्षमादान की सिफारिश नहीं
की?" "श्रीमान, यह कैदी
अकेला प्रतीत होता है।" सचिव ने उत्तर दिया । राष्ट्रपति बड़ी देर तक कुछ सोचते रहे। फिर बोले, "जिसका कोई मित्र नहीं है उसका मित्र मैं बनता हूँ
और उसके लिए क्षमा दान की सिफारिश करता हूँ।" फिर उन्होंने उस अपराधी का क्षमापत्र स्वीकार कर लिया। अपराधी को जब इस बात का पता चला, वह भावविभोर हो उठा। ये दयाशील राष्ट्रपति थे
अब्राहम लिंकन।
जिसका कोई नहीं होता उसका ईश्वर होता है।
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