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बारह में से
।। जीवन-धर्म = 0 ||
एक बार सम्राट अकबर ने अपने दरबारियों से पूछा, ''बारह में से चार गए बचे कितने?'' सभी दरबारियों ने जवाब दिया, 'आठ'' बीरबल चुप । अकबर ने बीरबल से जवाब माँगा बीरबल ने कहा, "शून्य।"
''कैसे ?'' अकबर ने स्पष्टीकरण की माँग की। बीरबल ने समझाते हुए कहा, ''अगर साल के बारह महीनों में से बारिश के चार महिने यूं ही चले गए तो शून्य ही बचेगा। न फसल होगी, न जीवनयापन ही ठीक ढंग से हो पायेगा ?"
“अब इसे आध्यात्मिक दृष्टि से देखें। चातुर्मास में साधु-संत एक जगह रहकर धर्म की देशना देते हैं। मनुष्य को धर्म का उचित मार्ग समझाते हैं। इन्हीं चार महिनों में तीज त्यौहार आते हैं, जैनों का महापर्व पर्युषण भी इन्हीं दिनों में मनाते हैं। अगर ये चार महीने न हों तो भौतिक और आध्यात्मिक दोनों दृष्टियों से मनुष्य के लिए क्या बचेगा ? सोचकर देखिए-शून्य और सिर्फ शून्य !"
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