Book Title: Sthanang Sutram Part 03 Author(s): Ghasilal Maharaj Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti View full book textPage 6
________________ ४ सरी चलती है। नोखा में दूसरे सज्जनों की मदद के साथ 'सिरेमल जोरावर - मल '' हेल्थ सेन्टर' चल रहा है । दानकी ओर आपका झुकाव इतना अधिक है कि कोई भी व्यक्ति किसी प्रकारकी सहायता के लिये आपके पास पहुंचता है तो वह निराश नहीं लौटता है। आप जहां वहीं भी जाते हैं वहांकी संस्थाओंकों कुछ न कुछ सहायता जरूर करते हैं । विद्यादान में आपकी ओर से हजारों रुपये लगते हैं । कइ छात्रालयों को आपकी ओर आर्थिक सहायता मिलती है । जैन साहित्य प्रकाशन कार्यमें आपकी बडी दिलचस्पी है। कई ग्रन्थोंके मकाशनमें आपका आर्थिक सहयोग रहा है। आगम प्रकाशनकी जब आपसे चर्चा की गई तो आपने स्वयमेव पांच हजार रुपयेकी महान सहायता प्रदान करनेकी उदारता प्रगट की । आप स्वयं धर्म प्रवृत्त हैं और धार्मिक कार्यमें तन मन व धन से सदा आगेवान रहते हैं । यही कारण है कि स्थानकवासी समाज में और ओसवाल समाज में आपका नाम सर्वोपरि आगेवान पुरुषोंमें बडे सन्मान के साथ आता है । समाजसुधार तथा जन जागृति के कामोंमें आपकी अच्छी रुचि है । 1 आपने अ० भा० वे० स्था० शास्त्रोंद्धार समितिको आगम प्रकाशन के हेतु ५०००) रुपया प्रदान कर स्थाई सदस्यता स्वीकार की है, अतः समिति आपका हार्दिक आभार मानती है ।Page Navigation
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