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श्रमण संस्कृति : सिद्धान्त और साधना
उक्त सम्मेलन में लंका की प्रधानमंत्री श्रीमती भंडार नायके ने अपनी हार्दिक भावना को व्यक्त करते हुए कहा था - " मैं इस सम्मेलन में भाग लेने सिर्फ अपने राष्ट्र की प्रधानमंत्री की हैसियत से ही नहीं आई हूँ, बल्कि एक स्त्री और माँ की हैसियत से भी .....
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मैं एक क्षण के लिए भी ऐसा विश्वास नहीं कर सकती कि दुनिया में काई भो माँ हैं, जो अपने बच्चों के पारमाणविक सक्रिय धूल के शिकार होने और घुल-घुलकर मरने की संभावना पर विचार कर सके । "
सम्मेलन के उद्देश्य पर प्रकाश डालते हुए युगोस्लाविया के राष्ट्रपति मार्शल टीटो ने कहा था- - " बेलग्रेड - सम्मेलन का उद्देश्य महान् शक्तियों को यह बतला देना है कि विश्व का भाग्य सिर्फ उन्हीं के हाथों में नहीं रह सकता ।" १० इसी प्रकार के एक सम्मेलन में जो कि क्रेमिनल में रूस की तरफ से आयोजित था, उसमें बोलते हुए तत्कालीन रूसी प्रधानमंत्री एन० ख श्चेव ने कहा था - "आंशिक अणु परीक्षण प्रतिबंध संधि अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व का आलेख है। किंतु इस संधि से अणुयुद्ध का खतरा खत्म नहीं हुआ है । जबतक हथियारों के लिए दौड़ जारी रहेगी, तबतक यह खतरा बना रहेगा ।" उक्त अवसर पर अमरीकी विदेशमंत्री डीन रस्क ने कहा- "यह एक अच्छा पहला कदम है, और यदि इसके अनुगमन में और कदम बढ़े, तो मानव का शांति के लिए स्वप्न यथार्थ रूप पा सकेगा । " स्व० पं० नेहरू ने उस अणुपरीक्षण प्रतिबंध संधि पर हस्ताक्षर करते हु कहा था कि - "मास्को में आज ( ५ अगस्त '६३ के) इस संधि पर हस्ताक्षर हो रहे हैं और प्रत्येक शांति प्रेमी को इसका स्वागत करना चाहिए । यद्यपि परीक्षणों पर यह आंशिक प्रतिबंध संधि ही है, और निरस्त्रीकरण की दिशा में बहुत बड़ी प्रगति नहीं है, फिर भी यह बहुत महत्त्वपूर्ण है । क्योंकि यह उस मंजिल की ओर ले जाने वाल प्रथम सोपान है ।'' भारत ने इस संधि पर हस्ताक्षर करना स्वीकार
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१०. पारमाणविक विभीषिका ।
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- विक्रमादित्यसिंह
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