________________ कविरत्न उपाध्याय श्री अमर चन्द्रजी म० की गौरवमयी कृतियाँ 100-00 1. निशीथ चूणि भाष्य-चार खण्डों में (अप्राप्य) 2. सूक्तिः त्रिवेणी 12-00 3. चिन्तन की मनोभूमि 12-50 4. श्रमण सूत्र (सभाष्य) 5. सामायिक सूत्र (सभाष्य) 6. अहिसा दर्शन 4-50 7. सत्य दर्शन 2-50 8. अस्तेय दर्शन 1-25 6. ब्रह्मचर्य दर्शन 10. अपरिग्रह दर्शन 11. समाज और संस्कृति 12. जैनत्व की झाँकी 1-25 13. पयुषण प्रवचन 3-25 14. अध्यात्म प्रवचन 5-00 15. विश्वज्योति महावीर 1-00 16. चिन्तन के मक्त स्वर (मक्तक संग्रह) 2-00 प्रकाशक: सन्मति ज्ञानपीठ, आगरा-२ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org