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शतपदी भाषांतर.
विचार ११ मो.
प्रश्नः - पुस्तको राखतां सत्वनो उपघात थाय छे माटे पुस्तक केम राखो छो ?
( १२ )
उत्तरः- उत्सर्गे पुस्तक राखवानी ना पाडी छे पण अपवादे राखवां कह्यां छे; कारण के काळने अनुसरीने चरणकरणने अर्थ पुस्तक राखतां संयम रही शके छे एम दशवैकाळिकचूर्णिमां कहुं छे.
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विचार १२ मो.
प्रश्नः - निशीथनी चूर्णिमां पांच प्रकारनां पुस्तक कह्यां छे ते भले राखो पण ते उपरांत टीपणी, कवडी, पाटली, ने ठवणी व गेरा केम राखो छो ?
उत्तरः- इहां टीपणी, कवड़ी, ने पाटली तो पांच प्रकारना पुस्तकमांज अंतर्भूत थाय छे. अर्ने ठवणी तो पुस्तकनी आशातना टाळवा सारुं राखीए छीए. कारण के पुस्तक भूमि ऊपर राखबुं जोइये नहि किंतु विवेकिए पाटला, ठवणी, के वस्त्र ऊपर अथवा हाथमां धरबुं जोईए.
विचार १३ मो.
प्रश्नः - द्रव्यस्तवमां साधुने अनुमति तथा कारापण छे के नहि ! उत्तरः- द्रव्यस्तवमां साधुने अनुमति तथा कारापण नथी. केमके रायपसेणी सूत्रमां सूर्याभे वीरखामिने वदतां प्रभुए तेने. अनुमत कर्यो छे पण नाटकनी रजा मागतां भगवान् पोते वीतराम होवाथी तथा गौतमादिकने स्वाध्यायमां विघात थवाना है
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