Book Title: Shatpadi Bhashantar
Author(s): Mahendrasinhsuri
Publisher: Ravji Devraj Shravak

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Page 228
________________ (२०८ ) .. . लघुशतपदी. पर्युषणानो अर्थ छे अने प्रतिक्रमणादिक तेना अनुयायि होवाथी ते सायेज थाय छे. तेथीज गीतार्थो बोलता देखाय छे के संबछरी पडिकमणुं कर्यु एटले विहार करवो न कल्पे. वळी पाटणमां मोटी शाळावाळा पण कल्पसूत्र वांची पडिकमणाटाणे बीजी शाळामां पडिकमी त्यां रहे छे. बळी जेओ अॅशीया पजूसण करे के तेनो एवो आशय के के भधिक मास काळनी चूला होवाथी गणतरीमा न लेवो, पण चूर्णिमां खुल्लु लखेल छे के अधिक मासने पण मासमां गणबुं. माटे चूर्णि साथे विरुद्ध बोल्याथी भविष्यमा शुं फळ थशे ते विचारवा लायक वात छे. कदाच एम कहो के गच्छनी रीतिए अमे एम करीये छीये बाकी सूत्रमा तो जेम कहेल के तेमज छे तो हजु तमारी काइक निर्दोषता रही शकशे. ___वळी विचारो के पचास दहाडाने उल्लंघq तो सर्वथा नहिज कल्पे, एथीज काळिकाचार्ये चोथनी पर्युषणा करी पण छठनी न करी त्यारे अॅशी दहाडे पर्युषणा करवी केम घटे.. ___ कदाच कहेशो के हमणा जैनटीपणुं छे नहि तेथी लौकिक टीपणावडे व्यवहार करवो; त्यां ए उत्तर छे के सारे कल्याणको पण लौकिक टीपणाना मेळे कां नथी करता? ___ मारे मतलब ए दीशे छे के जेटलो सिद्धांतना अभिप्राये व्यवहार थइ शके तेटलो तेमज करवो. बाकी ज्यां सर्वथा ते न मळी शके त्यांनी वात जूदी छे पण त्यां पण मूत्रने विशेष बहुमत राखg.

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