Book Title: Shatpadi Bhashantar
Author(s): Mahendrasinhsuri
Publisher: Ravji Devraj Shravak

View full book text
Previous | Next

Page 236
________________ (२१६) लघुशतपदी. पेला राजाने प्रतिबोधी अर्हतपूजा करावी. . वळी एमणे खीमलि गामवाळा संघवी वोहडिने प्रतिबोध आप्यो. ए बोहडिने आगल चालतां वस्तुपालमंत्रिए “संघनरेंद्र" एq बिरुद आप्युं. ... वळी कणयगिरिवाला सा. देदाना आग्रहथी गुरु महाराज चितोडमा रह्या. त्यां तेनी बेने उत्सवमां भोजनमां विष भेन्यु. ते गुरुराजे ध्यानना बळथी जाणी लइने ३२ साधुओ मोतथी बचाव्या. . वळी एओ ध्यानमां एवं चिंतववा लाग्या जे "आवा विषम काळमां साधुओनो निर्वाह केम थइ शकशे" तेवामां ध्यानना बळे चक्रेश्वरी देवीए प्रगट थइ प्रतिज्ञा लीधी जे हुं आजथी मांडीने वीरमभुर्नु ज्यां सूधी शासन चालशे त्यां लगी विषम वेलाए गच्छने सहाय करीश. एक वेला एमना सोल साधुओने कवाडि वगेरा भार ऊपरडी रस्ते चालता जोइ एक दिगंबरे मस्करी करी के "आ लश्कर कोना ऊपर जाय छे." गुरुए जवाप आप्यो के "कोइ संगोत्रिओ नागो थएल सांभल्यो छे तेना ऊपर जाय छे." ए रीते ते सहजमां जीताइ जइ पगे पडयो. महेंद्रसिंहसूरि. . धर्मघोषसरिना पाटे महेंद्रसिंहमार थया.तेओ सर्वे सिद्धांत मुखपाठेज भणावता हता.तेथी तेओने “आगमडाला" एवं विरुद मल्यु. ___एमणे तिमिर वाटकमां मांदगीना लीधे रहेतां त्यां वांदवा आवनार जालोरना संघना व्यासी संदेह वगर पूछवे एकज वखाणमां भांग्या अने बे संदेह एकांते भांग्या. ___ एमनुं सं. १२२८. जन्म, १२३७. दीक्षा, १२६३. मूरिपद, १३०९. स्वर्ग, सर्वायु वर्ष ८२..

Loading...

Page Navigation
1 ... 234 235 236 237 238 239 240 241 242 243 244 245 246 247 248