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(१६६) शतपदी भाषांतर. तो सही नहि पडतां एमज मूकाई जाय छे. एवा पुरुषो साथै तमो स्पर्धा करो ते शा कामनी? . ____ अगर शेषक्रियारहित फक्त नग्नपणाथीज जिनकल्पिपणुं थतुं होय तो तो माछला, काचवा, बळद, घोडा तथा नागां बाळको पण जिनकल्पि जेवा कही शकाशे.
(दिगंबरो अर्वाचीन छे.) कदाच दिगंबरो बोले के अमे प्राचीन छीये तो तेमने पूछ के तमारा ग्रंथोमां पण जेनां नाम आवे छे एवा तमारा आचारांगादि सिद्धांतो बतावो. वळी सिद्धांत सर्वे विछेद थया अने दर्शन वर्ते छे ए पण नहि मानी शकाय तेवी वात छे. ___ए उपरांत नगर, भरुच, श्रीमाळ, वाडव (वडनगर) वगेरा प्राचीन शेहेरोमां ब्राह्मणोना महास्थानको जेम रहेलां के तेम तमारा प्राचीन चैत्य बतावो.
वळी जो तमारो मार्ग सर्वज्ञप्रणीतन होय तो पूरती रीते छकाय राखवाना उपाय, निग्रंथपणेज व्रतनिर्वाह, बेतालीश दोषरहित पिंडविशुद्धि, तथा वसतिनी शुद्धि क्यां छे ते बतावो.
[स्त्री पण मुक्ति पामी शके छे.] ___ स्त्री पण तेज भवे मुक्ति पामी शके छ केमके यापनीयतंत्र नामना ग्रंथमां आ प्रमाणे कयुं छे:
"स्त्री अजीव नथी, अभव्य नथी, दर्शनविरोधिनी नथी, अ. मानुष्य छ एम पण नथी, अनार्य देशमांज ऊपजेली छे एम पण नथी, असंख्यात आयुवाली पण नथी, अतिक्रूर मतिवाळी पण नथी, उपशांतमोह गुणठाणे नहिज आवे एम पण नथी, शुद्धाचारवाळी नहिज होय एम पण नथी, अशुद्धबुद्धिवाळीज होय एम