Book Title: Shatpadi Bhashantar
Author(s): Mahendrasinhsuri
Publisher: Ravji Devraj Shravak

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Page 210
________________ शतपदी भाषांतर. ग्रंथ बनवानो काल. शरुआतमां श्री आर्यरक्षितसूरिना शिष्य श्री जयसिंहमूरि तेमना शिष्य श्री धर्मघोषसूरिए विक्रम सं. १२६३ ना वर्षे प्राकृत शतपदी रची. तेने बहु कठिन जाणी तेमनाज अंतवासी अने तेमनेज पाटे बेठेला महेंद्रसिंहरिए विक्रम सं. १२९४ ना वर्षे तेज ग्रंथमां केटलीक वधगट तथा सुधारोवधारो करी तथा केटलाक अधिक प्रश्नोत्तर दाखल करी सुगमपणे समजवा सारुं कांइक विस्तार करीने आ शतपदी रची. प्रार्थना. ( १९० ) (१) आ ग्रंथ भणावनार, भणनार, वांचनार तथा सांभळनारने कल्याण थाओ. (२) चतुर्विधसंघने कल्याण रहो. (३) भरत क्षेत्रमां ज्यां लगी वीरजिननुं शासन विजयवंत रहे त्यां लगी आ ग्रंथ पण पंडितोथी वंचातो रहो. ग्रंथमान. आ शतपदीनो असल ग्रंथ बरोबर ५३४२ श्लोकनो छे एम गणतरी करवामां आवी छे. बृहत् शतपदीनुं साररूप भाषांतर JAVA सहि. अधिकार एटले बेशवा समाप्त. OMG TO US ON TRATANE

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