Book Title: Shatpadi Bhashantar
Author(s): Mahendrasinhsuri
Publisher: Ravji Devraj Shravak

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Page 222
________________ (२०३) लघुशतपदी. विचार ३४ मो. ___आवश्यकचूर्णिमा जे देशपोसह वर्णव्यो छे तेनो भावार्थ ए छे के आगममां थोडा पण धर्मकृत्यमां पौषध शब्द वपराइ शके छे. तेथी आहारादिक बाबत जे थोडी पण विरति करे तेने पौषध कही शकाय छे. तेनी विधि चूर्णिमां ए छे के “जे देशपोसह करे ते सामायिक करे के नहि करे अने जे सर्वपौषध करे ते नियमा सामायिक करे." आगल चालतां लख्यु छे के "देशावगासीमां के सामायिकमां रही नोकारसी वगेरा तप कर." एनुं एवं मतलब जणाय छे के देशावगासीयुक्त थइ देशपोसहर्नु तप करवू अने सामायिकयुक्त थइ सर्व पोसहनुं तप करवं. कोइ कहेशे के देशपोसहमां पण सामायिक करे के न करे एम कहेल छे माटे सामायिकयुक्तपणुं पण आवशे तेने ए उत्तर छे के सां पण सामायिक करवू एम छे पण युक्त-पणुं नथी. तेथी करवू तो सांज सवार सामायिक कर्याथी घटी शके छे. जो एम मानीये के सामायिकंयुक्त छतां सर्व तप करी शके तो तो सामायिकमां पण भोजन करवू घटी शकशे. पण तेम तो कोइ मानतुं नथी. माटे देश पौषधमां पण सामायिक छते भोजन करवू घटतुं नथी माटे सामायिक पाळीनेज भोजन करे अने सर्व पौषध तो सामायिकसहितज होय छे तेथी तेमां भोजन नज घटे. ___ कदाच कोइ कहेशे के सामायिकमां तो घरे जमवा जतां घरना काम जोइ धर्म ध्याननो नाश थवा संभव छे तेथी चूर्णिमां कह्यु छ जे पडिलेहणा करी वेशीने भणे गणे, तेणे विचार, घटे छे के एज कारणे पोसहवाळाने पण तेमज करवू घटे छे. अने ते माटे चूर्णिमां पोसहनी विधिमां पण भण, गणकुंज लख्यु छे.

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