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शतपदी भाषांतर. कवृत्तिमा ए हीयमान थुइओ अथवा तेना बदले अजितशांतिस्तव कहेवो एम पण का छे.
विचार १७ मो. प्रश्नः-कल्पभाष्यनी चूर्णिमा साधुना पात्राओ माटे शकटलेप एटले खंजनलेप सुंदर कह्यो छ माटे तमे बीजो लेप केम करो छो? ___उत्तरः-खंजनलेप सुंदर छे; पण ते नहि मळतो होय तो बीजो लेप पण करी शकाय छे. केमके ओपनियुक्तिमा सामान्यपणे अचितपृथिवीकायथी लेप थतो कह्यो छे. तथा पिंडनियुक्तिमा लेप ए. टले नागपुरपाषाण वगेराथी नीपजेलं द्रव्य कहुं छे तेना अभिप्राय धातुलेप पण टीकाकारे कह्यो छे वळी त्यां आदि शब्द छे तेथी कीटलेप पण घटी शके छे. . माटे खंजनलेपना अभावे धातुलेप तथा कीटलेप पण थइ शके छे.
@ विचार १८ मो. प्रश्नः-शास्त्रमा कयुं छे के साधुने भीत के स्तंभ वगेरानो अवष्टंभ नहि लेवो जोइये; केमके त्यां त्रसजंतुओनो प्रचार चालु होवाथी प्रतिलेखना थइ शके नहि छतां तमे अवष्टंभ केम ल्यो छो ? ___ उत्तरः-तमे कडं ते उत्सर्ग एमज छे. पण एम पण का छे के असमर्थ होय ने पासा दूखता होय तो तेणे भीत के स्तंभ व. गेरा स्थिरावष्टंभ लेवो.