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शतपदी भाषांतर.
विचार ३७ मो. प्रश्नः-तमे कल्याणिकना दिने पौपध केम नथी मानता ? कारण के सूयगडांगनी टीकामां लख्युं छे के "चौदश आठम बगेरा तिथिओमां, उपदिष्टा एटले महाकल्याणिकना संबंधी पुण्यतिथिपणे प्रसिद्ध थएल तिथिओमां, तथा पौर्णमासी एटले चारे चोमासानी तिथिओमां, ए प्रकारना धर्मदिवसोमां सुप्रति. पूर्ण पौषधव्रत पाळता थका विचरे छे." एपरथी तो कल्याणिकना दिने पौषध सिद्ध थाय छे तथा अमावास्या अने चोमासा शिवायनी पूनमो अपर्व जणाय छे. .. उत्तरः-ए टीकाकारे कोण जाणे केवा आशये उद्दिष्टानो उपदिष्टा एवो पर्याय करी सर्व आगममां प्रसिद्ध अमावास्या अने पूर्णिमाओ मेळी दीधी छे, तथा आगम ग्रंथमां क्यां पण नहि कहेला कल्याणकोमा तपपौषध करवानुं लख्युं छे, तेमज एज आलावानी चूर्णिमां चूर्णिकारे उद्दिष्टानो अर्थ अमावास्या लख्यो छे तेनो पण शा कारणे टीकाकारे अनादर कर्यो छे ते मालम पडतुं नथी.
माटे अमारे चूर्णितुं व्याख्यानज प्रमाण छे.
विचार ३८ मो. प्रश्नः-कल्याणिक केम नथी साचवता ?
उत्तरः-आगममां क्यां पण विधिवादे के चरितानुवादे कल्याणिक साचववां कह्यां नथी. कारण के ऋषभस्वामिना के वी. रस्वामिना दर वर्षे जन्म, दीक्षा, ज्ञान, के निर्वाणदिन देवताओए के मनुष्योए क्यां पण साचव्यां छे एम लखेलं देखातुं नथी.
वळी शास्त्रमा लख्युं छे के जिनना पांच कल्याणिकोमां तथा