________________
साथ रहकर मिथ्यात्व को प्राप्त हुआ । इस प्रकार से सर्वजघन्य अन्तर्मुहूर्त प्रमाण मिथ्यात्व गुणस्थान का अन्तर प्राप्त हो गया ।
शंका- सासादन सम्यग्दृष्टि और सम्यङ मिध्यादृष्टि जीवों का अन्तर कितने काल होता है ? समाधान - नाना जीवों की अपेक्षा जघन्य से एक समय होता है । उक्त दोनों गुणस्थानों का अन्तरकाल पल्योपम के असंख्यातवें भाग है ।
शंका- पल्योपम के असंख्यातवें भाग काल में अन्तर्मुहूर्त काल शेष रहने पर सासादन गुणस्थान क्यों नहीं प्राप्त हो जाता ?
समाधान- नहीं, क्योंकि उपशमसम्यक्त्व के बिना सासादन गुणस्थान के ग्रहण करने का
अभाव है ।
शंका- वही जीव उपशमसम्यक्त्व को भी अन्तर्मुहूर्त काल के पश्चात् क्यों नहीं प्राप्त होता है ?
समाधान- नहीं, क्योंकि उपशमसम्यग्दृष्टि जीव मिथ्यात्व को प्राप्त होकर सम्यक्त्व - प्रकृति और सम्यs. मिथ्यात्व की उद्वेलना करता हुआ उनकी अन्त: कोड़ाकोड़ी प्रमाण स्थिति का घात करके सागरोपम से अथवा सागरोपम पृथक्त्व से जब तक नीचे नहीं करता है तब तक उपशमसम्यक्त्व ग्रहण करना ही सम्भव नहीं है ।
शंका- असंयत सम्यग्दृष्टि गुणस्थान से लेकर अप्रमत्तसंयत गुणस्थान तक के प्रत्येक गुणस्थानवाले जीवों का अन्तर कितने काल होता है ?
समाधान - नाना जीवों की अपेक्षा अन्तर नहीं है, निरन्तर है । क्योंकि सर्वकाल ही उक्त गुणस्थानवर्ती जीव पाये जाते हैं ।
शंका-उपशमश्रेणी के चारों उपशमकों का अन्तर कितना है ?
समाधान - नाना जीवों की अपेक्षा जघन्य से एक समय अन्तर है ।
शंका- चारों क्षपक और अयोगकेवली का अन्तरकाल कितना है ? समाधान - नाना जीवों की अपेक्षा जघन्य से एक समय होता है । शंका-सयोगकेवलियों का अन्तर काल कितना है ?
समाधान – नाना जीवों की अपेक्षा अन्तर नहीं होता, निरन्तर है ।
शंका- चारों उपशमकों का अन्तरकाल कितना है ?
समाधान - नाना जीवों की अपेक्षा जघन्य से एक समय अन्तर है । चारों उपशमकों का उत्कृष्ट वर्ष पृथक्त्व अन्तर है ।
शंका- चारों क्षपक और अयोगकेवलियों का अन्तर कितना है ?
समाधान - नाना जीवों की अपेक्षा जघन्य से एक समय है ।
षट्खण्डागम: पुस्तक- ६
शंका--आप्त, आगम और पदार्थों में सन्देह किस कर्म के उदय से होता है ?
- सम्यग्दर्शन का घात नहीं करनेवाला सन्देह सम्यक्त्व प्रकृति के उदय से उत्पन्न होता है किन्तु सर्वसन्देह अर्थात् सम्यग्दर्शन का पूर्णरूप से घात करनेवाला सन्देह और मूढ़ता मिथ्यात्वकर्म के उदय से उत्पन्न होता है ।
शंका- दर्शनमोहनीय कर्म सत्त्व की अपेक्षा तीन प्रकार का है, यह कैसे जाना जाता है ?
प्रधान सम्पादकीय / १३
समाधान
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org