Book Title: Sankshipta Jain Itihas Part 03 Khand 02
Author(s): Kamtaprasad Jain
Publisher: Mulchand Kisandas Kapadia

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Page 6
________________ = निवेदन। = दिगम्बर जैन समाजमें अलीगंज (एटा) निवासी श्री. बाबू कामताप्रसादनी जैन एक ऐसे अनोड व्यक्ति हैं जो अपना जीवन प्राचीन जैन इतिहासके संकलन में ही लगा रहे हैं और उसके कारण अपने स्वास्थ्यकी भी पावा नहीं करते हैं। आपके सम्पादन किये हुए भगवान महावीर, भगवान पार्श्वनाथ, भ. महावीर व म० बुद्ध, पंचरत्न, नवरत्न, सत्यमार्ग, पतितोद्धारक जैनधर्म, दिगम्बरत्व व दि० मुनि, वीर पाठावलि, और संक्षिप्त जैन इतिहास प्र० द० व तीसरा भाग (प्र. खंड) तोप्रकट होचुके हैं और यह संक्षिप्त जैन इतिहास तीसरा भाग - दूसरा खंड प्रकट करते हुए हमें अतीव हर्ष होता है हम और सारा जैन समाज आपकी इन कृतियों के लिये सदैव आभारी रहेंगे। इसके तीसरे भागका तीसरा खण्ड भी आप तयार कर रहे हैं जो बहुत करके आगामी वर्ष में प्रकट किया जायगा इस ग्रंथकी कुछ प्रतियां विक्रयार्थ भी निकाली गई हैं, आशा है उसका शीघ्र ही प्रचार हो जायगा । निवेदक:वीर सं० २४६४. । मूलचन्द किसनदास कापडिया, माश्विन मुदी १४.) -प्रकाशक । "जैनविजय " प्रिन्टिग प्रेस, गांधीचौक,-सूरतमें मृलचम किसनदास कापडियाने मुद्रित किया। Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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