Book Title: Samved Samhita
Author(s): Ajmer Vaidik Yantra
Publisher: Ajmer Vaidik Yantra

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Page 89
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir र र ३१२७१र र २र३२३१ २ ३१ सामवेदसंहिता। प्र० ५. अर्धप्र० २॥ तत्पसते शव इन्द्रो अङ्ग । कदा मर्तमराधसं पदा क्षुम्पमिव स्फुरत् । कदा नः मुश्रावदिर इन्द्रो अङ्ग ॥ २२ ॥ गायन्ति त्वा गायत्रिणोर्चत्यर्कमकिरणः । ब्रह्माणस्त्वा शतक्रत उद्धं शमिव येमिरे ॥ यत्सानोस्सान्वारुहो भूर्यस्पष्टकम् । तदिन्द्रो अर्थ चेतति यूथेन दृष्णिरेजति ॥ युवा हि कशिना हरी दृषणा कक्ष्यपी। अथा न इन्द्र सोमपा गिरामुपश्रुतिञ्चर ॥ २३ ॥ ३ २३५ २ २उ ३ र २र३ र २र ३१२ सानास्सावारुहा भूयस्प 3१र २ इति द्वितीयोऽर्धः प्रपाठकः पञ्चमश्च प्रपाठकः समाप्त For Private And Personal

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