Book Title: Saman Dhamma Rasayanam
Author(s): Dharmdhurandharsuri, Bhuvanchandravijay
Publisher: Shrutgyan Prasarak Sabha
View full book text
________________
"समण धम्म रसायणं" वित्ति कलियं પૂજ્યપાદ આચાર્યશ્રી ધર્મધુરંધરસૂરિ મહારાજ રચિત
"समण धम्म रसायणं"
वित्ति कलियं
सुरिंदाणं विंदं णमइ कमले जस्स चलणे, सिया वाओ गीओ सयलणयगो जेण विमलो । समेसिं अत्थाणं परमसमरूवं जमणुगं, णमंसामो सम्मं; समणदहधम्मं तमरिहं ।। १ ।।
नमिऊण अरिहंतं, रसायणं समणधम्मसंभूअं । वागरमि पाझरणं सोपण्णं पाइअं गीअं ।। १ ।।
विंद
॥ वित्ती ॥ जस्स
- बुद्धिढिअस्स भगवंतस्स | कमले चलणे - कमलाभिण्णेकमे, पायपउमे । सुसरदाणं - देवरायाणं ।
- स मुच्चओ । णम
- पणामं कुणइ । जेण सयलणयगो - सव्ववियारपयारसरणो | विमलो - दूसणमेत्तमुत्तो । सियावाओ - अणेकंतवाओ गीओ - पयासिओ ।
- समेसिं अत्थाणं सव्वपयत्थाणं । परमसमरूवं ___- अक्किठ्ठमवियलसरुवं ।

Page Navigation
1 ... 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 ... 122