Book Title: Samajonnayak Krantikari Yugpurush Bramhachari Shitalprasad
Author(s): Jyotiprasad Jain
Publisher: Akhil Bharatvarshiya Digambar Jain Parishad
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________________ 16 वीं शताब्दी के महान जैन आध्यात्मिक संत श्रीमद जिन तारण स्वामी जी द्वारा रचित 14 आध्यात्मिक ग्रंथों में से 8 ग्रंथों की भाषाटीका करके समाज के सामने जो एक महान आदर्श उपस्थित किया हैं और श्री दिन तारण समाज पर जो एक महान उपकार किया है, उसके लिये हम और हमारी समाज सदैव उनके प्रति नतमस्तक रहेगी। 50 ब्रह्मा जी के जीवन को यह उक्ति भी चरितार्थ करती है 'हम तो अपना काम सब तमाम कर चले-अब तुम पता लगाते रहो कि हम कौन थे / इन्हीं भावनाओं के साथ ही में अपने इस प्रकाशकीय वक्तव्य को समाप्त करता हुआ श्रध्देय पूज्य ब्रह० जी के प्रति नतमस्तक हूं। आशा है, सहधर्मी वन्धु एवं श्रद्धालु सज्जन बृन्द इस पुस्तक का अध्ययन कर पू० ब्रह. जी के दिव्य जीवन से एवं उनके महान जागरुक क्रिया कलापों से कुछ सबक ग्रहण कर अपने जीवन में कुछ जागृति प्रदान करेंगी, तभो इस पुस्तक का प्रकाशन और लेखक का श्रम सार्थक हो सकेगा। अंत में मैं लेखक महोदय का भी अत्यन्त आभारी हूं, जिन्होने कि अपनी विद्वता एवं विलक्षण सूझबूझ तथा प्रतिभा के कारण अपनी रचना को रुचिकर एवं ग्राहय बनाया है और संकलित व संग्रह की हुई साहित्य सामग्री के द्वारा पू० ब्रह्मचारी जी के समग्र जीवन-दर्शन व क्रिया कलापों को एक पुस्तक के रूप में समाज के ... सामने प्रस्तुत किया है, जिससे कि वर्तमान के साथ साथ भावी पीढ़ी को भी श्रध्देय पू० ब्र० जी के दिव्य जीवन से शिक्षा एवं कार्य करने की प्रबल प्रेरणा भी भी मिलती रहे / ब्रह्मचारी शीतलप्रसाद की जय / श्रद्धावनत् डालचन्द जैन ( पूर्व विधायक ) ( अध्यक्ष, अ. भा० दि० जैन परिषद ) सागर (म० प्र०) .( 3 )