Book Title: Samajonnayak Krantikari Yugpurush Bramhachari Shitalprasad
Author(s): Jyotiprasad Jain
Publisher: Akhil Bharatvarshiya Digambar Jain Parishad
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________________ बाबू छोटेलाल सरावगी ब्रह्मचारी जी ने कलकत्ते के कई जैन परिवारों को जो कालीदेवी या शिवजी के उपासक बन गए थे, जैनधर्म का दृढ़ श्रद्धालु बना दिया। वे आदर्श त्यागी, धर्मात्मा और महात्मा थे / जैन जाति पर ब्रह्मचारी जी का ऋण इतना बड़ा है कि उससे उऋण होना असंभव ला. कपूरचन्द्र जैन वैष्णव संबधों के कारण धीरे-धीरे हम लोग जैन धर्म से विमुख होते गए / ब्रह्मचारी जी ने हमको पक्का श्रद्धानी बना दिया और परिवार में जैन धर्म की नींव दृढ़ कर दी तथा हमारे मकान में पार्श्वनाथ चैत्यालय स्थापित करा दिया / उनका सदैव उपदेश था कि खूब दान किया करो और दान देकर खुश हुआ करो / सेठ गुलाबचन्द्र टोंग्या हममें जैनदर्शन का अध्ययन करने की लगन ब्रह्मचारी जी के प्रभाव से जागृत हुई और उन्हीं की प्रेरणा से गम्भीरमल इंडस्ट्रियल स्कूल (इन्दौर) स्थापित किया गया / बा० लालचन्द्र जैन एडवोकेट मेरे जीवन पर और रोहतक के दूसरे भाइयों के जीवन पर जो प्रभाव पूज्य ब्रह्मचारी जी का पड़ा है और उससे जितना लाभ हम सबको हुआ है, उसका वर्णन करना बहुत कठिन है। साहू शान्तिप्रसाव जैन उन्होंने जैन समाज को जीवन देने के लिए स्वयं अपने जीवन की और उससे भी अधिक अपने जीवनोपाजित यश की बलि चढ़ा दी। बा० रतनलाल वकील ब्रह्मचारी जी ने मान व अपमान के द्वार में से निकलकर जैन समाज को सहिष्णुता का पाठ पढ़ाया / बा० नानकचन्द्र एडवोकेट उनके उपदेश के कारण मेरी धर्म में रुचि हो गई।