Book Title: Samajonnayak Krantikari Yugpurush Bramhachari Shitalprasad
Author(s): Jyotiprasad Jain
Publisher: Akhil Bharatvarshiya Digambar Jain Parishad
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________________ 1935 - लखनऊ चातुर्मास पूज्य तारण स्वामी कृत "ममल-पाहुड़-टीका" (प्र० भाग) व “सार-प्समुच्चय टीका" लिखी। लखनऊ समाज द्वारा विनयपत्र समर्पित ( 11-11-35) / बंबई के बौद्ध आनंद बिहार में जैन एवं बौद्ध धर्म के तुलनात्मक अध्ययन पर अंग्रेजी में भाषण दिया / (10-3-35) 1936 - हिसार चातुर्मास, पूज्य तारणस्वामी कृत "ममलपाहुड़ ग्रंथ" की टीका ( द्वि० व त० भाग ) तथा 'जैन धर्म सुख की कुन्जी है' ट्रेक्ट (हिंदी एवं अंग्रेजी) में लिखे। लखनऊ के तीर्थयात्रा संघ का पथ प्रदर्शन किया / 1937 - दाहोद चातुर्मास में पूज्य तारणस्वामी कृत "त्रिभंगीसार ग्रंथ व 'तत्वसार' की टीकाएं तथा 'जम्बूस्वामी-चरित्र का लेखन / उत्तरपुराण के आधार से अजितादि 23 तीर्थकरों का चरित्र अंग्रेजी में लिखकर बैरिस्टर चम्पतराय जी को इंग्लैंड भेजा। 1938 - मुल्तान चातुर्मास पू० तारणस्वामी कृत 'चौबीसठाणा-ग्रंथ' की टीका लिखी, "जैन धर्म में अहिंसा" और 'जैनधर्म दर्पण पुस्तकें लिखीं / 1936 - रोहतक चातुर्मास, 'योगसार' की टीका लिखी। कम्प रोग क प्रारंभ, जिसका एक कारण यह बताया गया कि वह समर की बचत के लिए चलती हुई रेलगाड़ी में भी लिखते रहते थे 1940 - लखनऊ चातुर्मास, रूग्णावस्था में भी 'जैनधर्म में देव औ पुरुषार्थ' पुस्तकें तथा 'स्वतन्त्रता' शीर्षक लेख लिखे / अ लखनऊ में ही रहे / 1941 - लखनऊ रोग के प्रकोप में विशेष वृद्धि। रोग जन्य परिष को समतापूर्वक सहन / 1942 - 10 फरवरी, फाल्गुन कृष्णदशमी के प्रातः 4 बजे समाधि मरण पूर्वक देह-त्याग किया / अपार जनसमह शवयाः एवं अन्त्येष्टि में सम्मिलित हुआ / जैन बाग, डालीगन्ज दाहसंस्कार किया गया / कालांतर में उसी स्थान पर उनर स्मारक समाधि का निर्माण हुआ / (26)